Tuesday, May 28, 2019

Hindi poem on friendship/दोस्ती पर कविता

Hindi poem on friendship

नंगे पांव और ज्येष्ठ दुपहरी,संग जिसके शीतल लगती थी।
दोस्त मेरा सब हीरा था,हर रिश्ता पीतल लगती थी।
वो दोस्त पुराने खो गये,याद उनकी आई तो रो गये -2।

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मेरे घरवालों से नजरें चुराकर,खेलने को बुलाया करता था।
जब भी मैं उदास होता, वो मुझे हँसाया करता था।
जो छोटी-मोटी बातों को भी,मुझे बताया करता था।
मेरी खुशियों का डगर जो था, मेरी राहों का हमसफर जो था।
वो सारे दोस्त पुराने खो गये,याद उनकी..........-2।
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हर खून के रिश्ते से दोस्ती का ओहदा ऊपर था,
गंगाजल-सा पवित्र और दोस्त मेरा सब सुपर था।
फिर से मुझे दोस्ती का वोही जमाना मिल जाता,
सारी दौलत-शोहरत लेकर भी,वो दोस्त पुराना मिल जाता।
मेरे दीये का बाती जो था,मेरे बचपन का साथी जो था।
वो सारे दोस्त पुराने खो गये,याद उनकी ...........-2।
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कुछ दोस्त कमाने निकल गये,कुछ दोस्त बिलकुल बदल गये।
किसी को काम से फुर्सत नहीं,किसी को दोस्तों की जरूरत नहीं।
मेरे संग स्कूल जाता जो था, मेरे हर गम को बांटा जो था।
वो सारे दोस्त पुराने खो गये,याद उनकी...........-3।।


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Wednesday, May 22, 2019

प्रकृति पर कविता/Poem on nature in hindi

जलमग्न हुई कहीं धरा,कहीं बूंद-बूंद को तरसे धरती।
किसने छेड़ा है इसको, क्यों गुस्से में है प्रकृति।।

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किसने घोला विष हवा में,किसने वृक्षों को काटा ?
क्यों बढ़ा है ताप धरा का,क्यों ये धरती जल रही ?
जिम्मेवार है इसका कौन,क्यों ग्लेशियर पिघल रही ?
किसने इसका अपमान किया,
कौन मिटा रहा इसकी कलाकृति ?
किसने छेड़ा है इसको,क्यों गुस्से में..........?

धरती माँ का छलनी कर सीना,प्यास बुझाकर नीर बहाया।
जल स्तर और नैतिकता को भूतल के नीचे पहुँचाया।
विलुप्त हुये जो जीव धरा से,जिम्मेवार है उसका कौन ?
जुल्म सह-सहकर तेरा, अब नहीं रहेगी प्रकृति मौन।
आनेवाले कल की जलवायु परिवर्तन झाकी है।
टेलर है भूकंप, सुनामी, पिक्चर अभी बाकी है।
फिर नहीं कहना कि क्यों कुदरत हो गई बेदर्दी ?

किसने छेड़ा है इसको ,क्यों गुस्से में............3।


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Friday, May 17, 2019

आतंकवाद पर कविता/Hindi poem on terrorism

मानवता की राह छोड़, हिंसा का रूख अपनाया है।
मंदिर-मस्जिद भी महफूज़ नहीं,हर जगह मौत साया है।
राक्षस हीं आतंकवादी बनकर,कलयुग में धरा पर आया है-2।
      

घर-आँगन है सुना-सुना,चीख रही दीवारें हैं,
सफेद चादर में लिपटे,कुछ फूल प्यारे-प्यारे हैं।
कराह रही है मानवता, आतंकवाद मिटाने को,
भारत भी तैयार खड़ा है,आतंकी निपटाने को।
उसे जहन्नुम भेज दिया, जिसने भी हथियार उठाया है।।
राक्षस हीं आतंकवादी............-2।

जब भी बढ़ है पाप धरा पर,हमने हीं बोझ उतारा,
हम राम-कृष्ण के वंशज है,जिसने रावण और कंश को मारा है।
तुम अदना-सा कायर हो,अब तेरा अस्तित्व धरा पर किंचित् है,
हम धर्म पथ पर चलने वाले,मेरा विजय सुनिश्चित है,
निर्दोषों पर वार करे तू ,तेरा अंत भी निश्चित है।
आतंकवाद का दुनिया से करना अब सफाया है।।
राक्षस हीं आतंकवादी.................-2।

किसी ने जीवन खपा दिया,एक घर को बनाने में,
क्या तेरी रूह नहीं कांपी ? इन घरो को जलाने में।
ये हैं दहशत फैलाने वाले,इस पर जेहाद का साया है।
ये कभी नहीं सोचेगें, क्या नरसंहार से पाया है।
मानवता पर कलंक हैं ये,साबित कर दिखलाया है।।
राक्षस हीं आतंकवादी ...................3।




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शिक्षक दिवस पर शायरी।

विधार्थियों से मैं  कहता हूँ,  शिक्षकों का सम्मान करें। है शिक्षकों से अनुरोध मेरा,  विधार्थियों का चरित्र निर्माण करें।