Tuesday, July 16, 2019

Hindi poem on teacher/गुरू पर कविता।

गुरू पर कविता।

जीवन कहीं चट्टानों-सा ठहरा होता,
ये नदियों-सा बहना शुरू न होता,
अगर जीवन में गुरू न होता- 2।।
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आँख रहते हम अंधे होते,
दिन के उजालों में भी देख न पाते।
जनवरों की तरह जंगलो में कहीं भटक रहे होते,
बंदरों की तरह पेड़ों पर कहीं लटक रहे होते।
आदिमानव से मानव न बनता,
जीवन में कुछ करने की आरज़ू न होता।
अगर जीवन में गुरू न होता -2।।
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जिसने मेरे कमियों को दूर कर मुझमें खुबियां भर दिया।
जिसने मुझको ज्ञान देकर मेरे जीवन को सुन्दर किया।
जिसने सत्य-असत्य में भेद बताया,जीवन जीना मुझे सीखाया।
जिसके बिना मैं फूल न बनता और
मुझमें ज्ञान की खुशबू न होता।
अगर जीवन में गुरू न होता -2।
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र मुश्किल को आसान बनाया, सारथी बनकर साथ निभाया।
शिक्षक जैसा शुभचिंतक कोई और नहीं जमाने में,
जिसने सारी शक्ति लगा दी,मुझे मंजिल तक पहुँचाने में।
कहीं अंधेरों में घिरा रहता उजालों से रूबरू न होता।
अगर जीवन में गुरू न होता-2।।

गुरू पर कविता का विडायो।             


Monday, July 15, 2019

Hindi poem on summer / गर्मी पर कविता।

मैं गर्मी हूँ ,मैं और बढ़ूंगी-मैं और बढ़ंगी-मैं और बढ़ूंगी।
मैं लोगों का जीना यहाँ मुश्किल करूंगी,
मैं गर्मी हूँ मैं और बढूंगी-मैं गर्मी हूँ मैं और बढ़ूंगी।।     Hindi poem on summer, summer hindi poem,गर्मी पर कविता।

समय बीताकर भी मैं अपना, मैं न जाऊँ कल-परसो में।
अब मेरा हीं राज चलेगा, आने वाली कुछ वर्षों में।
सर्दी-बरसात भी मानेगी, देखना तुम मेरा कहना,
इन्हें सिकुड़कर पड़ेगा रहना, मैं ऋतुओं पर राज करूँगी।
मैं गर्मी हूँ मैं और बढ़ूँगी -3।  Hindi poem on summer, summer hindi poem ,गर्मी पर कविता। 

जब तुम वृक्षों को काटोगे, जंगलों में आग लगाओगे,
ऐ मानव मेरी शक्ति को तुम और बढ़ाओगे।
बरगद-पीपल का छाया वाले तुम भूल रहे हो कुलर देशी,
आनेवाली कुछ वर्षों में न काम करेगा कुलर-एसी।
तुम घरो में कैद हो जाओगे,और मैं बाहर तांडव करूँगी।
मैं गर्मी हूँ मैं और बढ़ूँगी -3।।


शिक्षक दिवस पर शायरी।

विधार्थियों से मैं  कहता हूँ,  शिक्षकों का सम्मान करें। है शिक्षकों से अनुरोध मेरा,  विधार्थियों का चरित्र निर्माण करें।