मैं गर्मी हूँ ,मैं और बढ़ूंगी-मैं और बढ़ंगी-मैं और बढ़ूंगी।
मैं लोगों का जीना यहाँ मुश्किल करूंगी,
मैं गर्मी हूँ मैं और बढूंगी-मैं गर्मी हूँ मैं और बढ़ूंगी।।
समय बीताकर भी मैं अपना, मैं न जाऊँ कल-परसो में।
अब मेरा हीं राज चलेगा, आने वाली कुछ वर्षों में।
सर्दी-बरसात भी मानेगी, देखना तुम मेरा कहना,
इन्हें सिकुड़कर पड़ेगा रहना, मैं ऋतुओं पर राज करूँगी।
मैं गर्मी हूँ मैं और बढ़ूँगी -3।
जब तुम वृक्षों को काटोगे, जंगलों में आग लगाओगे,
ऐ मानव मेरी शक्ति को तुम और बढ़ाओगे।
बरगद-पीपल का छाया वाले तुम भूल रहे हो कुलर देशी,
आनेवाली कुछ वर्षों में न काम करेगा कुलर-एसी।
तुम घरो में कैद हो जाओगे,और मैं बाहर तांडव करूँगी।
मैं गर्मी हूँ मैं और बढ़ूँगी -3।।
मैं लोगों का जीना यहाँ मुश्किल करूंगी,
मैं गर्मी हूँ मैं और बढूंगी-मैं गर्मी हूँ मैं और बढ़ूंगी।।
समय बीताकर भी मैं अपना, मैं न जाऊँ कल-परसो में।
अब मेरा हीं राज चलेगा, आने वाली कुछ वर्षों में।
सर्दी-बरसात भी मानेगी, देखना तुम मेरा कहना,
इन्हें सिकुड़कर पड़ेगा रहना, मैं ऋतुओं पर राज करूँगी।
मैं गर्मी हूँ मैं और बढ़ूँगी -3।
जब तुम वृक्षों को काटोगे, जंगलों में आग लगाओगे,
ऐ मानव मेरी शक्ति को तुम और बढ़ाओगे।
बरगद-पीपल का छाया वाले तुम भूल रहे हो कुलर देशी,
आनेवाली कुछ वर्षों में न काम करेगा कुलर-एसी।
तुम घरो में कैद हो जाओगे,और मैं बाहर तांडव करूँगी।
मैं गर्मी हूँ मैं और बढ़ूँगी -3।।
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