जल जीवन हरियाली पर कविता।
जल बिना कल्पना नहीं जीवन कि,वन बिना दुनिया खाली।
जल और वन करते हमारी जीवन की रखवाली,
त्राहि-त्राहि पंक्षी सब बोले सुख गये सब ताल-तलैया।
ग्लेशियर भी पिघल रहा है, ताप बढ़ रहा धरती का भैया।
जलवायु परिवर्तन कह रहा विनाश है आनेवाली।
पर्यावरण को तुमने प्रदूषण का नासूर दिया।
जिस प्रकृति ने सबकुछ दिया तुमने उस पर आघात किया।
तुम ईश्वर की उत्तम रचना थे,पर दानव-सा उत्पात किया।
ऐ मानव तेरी करनी ने हर जीव को संकट में डाली।
आओ बदलें तस्वीर धरा कि,इसकी सुन्दरता इसे लौटायें।
बनाकर मानव श्रृंखला ये जन-जन तक संदेश फैलायें,
सब मिलकर पर्यावरण बचायें-सब मिलकर पर्यावरण बचायें।
आधुनिकता की सनक खा रही ओजोन परत की जाली।
अब हमें बचाना होगा जल जीवन हरियाली।।