Sunday, January 12, 2020

जल जीवन हरियाली पर कविता/jal jeevan hariyali par kavita.

जल जीवन हरियाली पर कविता।
जल बिना कल्पना नहीं जीवन कि,वन बिना दुनिया खाली।
जल और वन करते हमारी जीवन की रखवाली,
अब हमें बचाना होगा, जल जीवन हरियाली।
नदीं का चित्र, जल जीवन हरियाली पर कविता,jal jeevan hariyali par kavita, paryavaran par kavita,geetkar niraj,गीतकार नीरज की कविताएं।

प्रदूषित हो रही हवा, बंजर हो रही धरा,
त्राहि-त्राहि पंक्षी सब बोले सुख गये सब ताल-तलैया।
ग्लेशियर भी पिघल रहा है, ताप बढ़ रहा धरती का भैया।
जलवायु परिवर्तन कह रहा विनाश है आनेवाली।
अब हमें बचाना होगा जल जीवन हरियाली।।

जंगल काटे,धरती वेधे,मही दोहन भरपुर किया।
पर्यावरण को तुमने प्रदूषण का नासूर दिया।
जिस प्रकृति ने सबकुछ दिया तुमने उस पर आघात किया।
तुम ईश्वर की उत्तम रचना थे,पर दानव-सा उत्पात किया।
ऐ मानव तेरी करनी ने हर जीव को संकट में डाली।
अब हमें बचाना होगा जल जीवन हरियाली।।
Jal jeevan hariyali par kavita,जल जीवन हरियाली पर कविता।

आओ बदलें तस्वीर धरा कि,इसकी सुन्दरता इसे लौटायें।
बनाकर मानव श्रृंखला ये जन-जन तक संदेश फैलायें,
सब मिलकर पर्यावरण बचायें-सब मिलकर पर्यावरण बचायें।
आधुनिकता की सनक खा रही ओजोन परत की जाली।
अब हमें बचाना होगा जल जीवन हरियाली।।


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शिक्षक दिवस पर शायरी।

विधार्थियों से मैं  कहता हूँ,  शिक्षकों का सम्मान करें। है शिक्षकों से अनुरोध मेरा,  विधार्थियों का चरित्र निर्माण करें।