मैंने बरगद के नीचे कई बच्चों पलते देखा है,
मैंने पेट को भूख की आग में जलते देखा है-2।
गरीब के नसीब में कहाँ है रूठना और रोना,
खेलने का उम्र में बेचता है वो खिलौना ,
मैंने बचपन के अरमानो को आँसूओं में निकलते देखा है।
मैंने पेट को भूख की आग में जलते देखा है -2।
मैंने पेट को भूख की आग में जलते देखा है-2।
गरीब के नसीब में कहाँ है रूठना और रोना,
खेलने का उम्र में बेचता है वो खिलौना ,
मैंने बचपन के अरमानो को आँसूओं में निकलते देखा है।
मैंने पेट को भूख की आग में जलते देखा है -2।
सुलगती बीड़ी के धुँयें से भूख को दबाते हुये,
भूख के मारे घास चबाते हुये,
इक औरत को देखा कुछ सुखी रोटियाँ लाते हुये ,
और उन सुखी रोटियों की खुशी में,
बच्चों को नाचते-उछलते देखा है ।
मैंने पेट को भूख की आग में जलते देखा है -2।
कहाँ मिला है उसे आशियां अपना, कहाँ सुधरी है हालात,
कई पीढ़ियाँ बीता दी जिसने फूटपाथो पर।
मैंने कई सरकारो को बदलते देखा है।
मैंने पेट को भूख की आग में जलते देखा है -2।
उन्हें क्या मतलब चंद्रयान,मंगलयान और बुलेट ट्रेनों से,
सफर करते हैं जो बांधकर अपने चादर ट्रेनों में।
खाते हुए खाना रेल के शौचालयों में
और रोटियों के लिए रस्सियों पर चलते देखा है।
मैंने पेट को भूख की आग में जलते देखा है -3।
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