बाल दिवस पर कविता।
सुरज मिटाये अंधेरे को,बच्चें गम को मिटाये।
प्यारी होती है बचपन की दुनिया,रहता होठों पे मुस्कान सदा,
बच्चों के मन में बसते हैं मानो स्वयं भगवान सदा।
चाचा नेहरू का जन्मदिवस हीं बाल दिवस कहलाये।
इसी लिए बच्चें सदा चाचा नेहरू को भाये।।
देश को दी कई योजनाएं लोहा और इस्पात बनाया,
बांध बनाकर बिजली निकाली,नहरों को खेतों तक पहुँँचाया।
पढ़-लिखकर ऐसा बने हम कि उनके सपनें साकार कर पायें।
इसी बच्चें सदा चाचा नेहरू को भाये।।
समय की ऐसी मार पड़ी है, नफरतों की दीवार खड़ी है,
तुम बच्चों इसे गिराकर रहना।झूठ फरेब की इस दुनिया में
तुम खुद को बचाकर रहना।राह अमन की हम न भुलेगें जो चाचा हमें दिखाये। इसीलिए बच्चें सदा चाचा नेहरू को भाये।।
बच्चों के मन में बसते हैं मानो स्वयं भगवान सदा।
चाचा नेहरू का जन्मदिवस हीं बाल दिवस कहलाये।
इसी लिए बच्चें सदा चाचा नेहरू को भाये।।
देश को दी कई योजनाएं लोहा और इस्पात बनाया,
बांध बनाकर बिजली निकाली,नहरों को खेतों तक पहुँँचाया।
पढ़-लिखकर ऐसा बने हम कि उनके सपनें साकार कर पायें।
इसी बच्चें सदा चाचा नेहरू को भाये।।
समय की ऐसी मार पड़ी है, नफरतों की दीवार खड़ी है,
तुम बच्चों इसे गिराकर रहना।झूठ फरेब की इस दुनिया में
तुम खुद को बचाकर रहना।राह अमन की हम न भुलेगें जो चाचा हमें दिखाये। इसीलिए बच्चें सदा चाचा नेहरू को भाये।।
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