कविता, ग़ज़ल और शायरी
जहां में जीव हैं लाखों,पर परेशान हैं मानव।प्रकृति को भी परेशानीबस इसी जात से थी।।
पर परेशान हैं मानव।
प्रकृति को भी परेशानी
बस इसी जात से थी।।
विधार्थियों से मैं कहता हूँ, शिक्षकों का सम्मान करें। है शिक्षकों से अनुरोध मेरा, विधार्थियों का चरित्र निर्माण करें।
No comments:
Post a Comment