वन समन्दर और धरती को,तुम छेड़ रहे हो प्रकृति को।वन काट बंजर किया और नदियों का धारा मोड़ दिया,जरा सोच तेरा क्या होगा मानव, जिस दिन प्रकृति तुमको छेड़ दिया।।
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शिक्षक दिवस पर शायरी।
विधार्थियों से मैं कहता हूँ, शिक्षकों का सम्मान करें। है शिक्षकों से अनुरोध मेरा, विधार्थियों का चरित्र निर्माण करें।
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Hindi poem on friendship नंगे पांव और ज्येष्ठ दुपहरी,संग जिसके शीतल लगती थी। दोस्त मेरा सब हीरा था,हर रिश्ता पीतल लगती थी। वो दोस्त ...
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मैं गर्मी हूँ ,मैं और बढ़ूंगी-मैं और बढ़ंगी-मैं और बढ़ूंगी। मैं लोगों का जीना यहाँ मुश्किल करूंगी, मैं गर्मी हूँ मैं और बढूंगी-मैं गर्मी हूँ...
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