अगर हुई कोई ख़ता मुझसे तो मुझे बतलाओ तुम,
पल भर रिश्ता सदियों का तोड़कर न जाओ तुम।
वो सपने जो दिखाये थे प्यार में मुझे तूने,
खिले -खिले हैं अभी फूलो सा।
इसे ममोड़ के न जाओ तुम।।
पल भर में.......................2।
तुम्हीं ने प्यार दिया और ग़म भी दिये,
तुम जख़्म दिया और मरहम भी दिये।
सोचता हूँ तुम्हें कोसूँ या दुआ करूँ,
समझ में कुछ नहीं आता मुझे बतलाओ तुम।
पल भर में ........................2।
अगर तू मजबूर है तो तेरी मजबूरियां तो सुनूँ ,
तेरी जुवां कुछ और कह रही है और आँखें कुछ और।
बात क्या हो गई मुझे बतलाओ तुम।
पल भर में................................3।
प्यारी होती है बचपन की दुनिया,रहता होठों पे मुस्कान सदा,
बच्चों के मन में बसते हैं मानो स्वयं भगवान सदा।
चाचा नेहरू का जन्मदिवस हीं बाल दिवस कहलाये।
इसी लिए बच्चें सदा चाचा नेहरू को भाये।।
देश को दी कई योजनाएं लोहा और इस्पात बनाया,
बांध बनाकर बिजली निकाली,नहरों को खेतों तक पहुँँचाया।
पढ़-लिखकर ऐसा बने हम कि उनके सपनें साकार कर पायें।
इसी बच्चें सदा चाचा नेहरू को भाये।।
समय की ऐसी मार पड़ी है, नफरतों की दीवार खड़ी है,
तुम बच्चों इसे गिराकर रहना।झूठ फरेब की इस दुनिया में
तुम खुद को बचाकर रहना।राह अमन की हम न भुलेगें जो चाचा हमें दिखाये। इसीलिए बच्चें सदा चाचा नेहरू को भाये।।
अगर जीवन में गुरू न होता- 2।।
आँख रहते हम अंधे होते,
दिन के उजालों में भी देख न पाते।
जनवरों की तरह जंगलो में कहीं भटक रहे होते,
बंदरों की तरह पेड़ों पर कहीं लटक रहे होते।
आदिमानव से मानव न बनता,
जीवन में कुछ करने की आरज़ू न होता।
अगर जीवन में गुरू न होता -2।।
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जिसने मेरे कमियों को दूर कर मुझमें खुबियां भर दिया।
जिसने मुझको ज्ञान देकर मेरे जीवन को सुन्दर किया।
जिसने सत्य-असत्य में भेद बताया,जीवन जीना मुझे सीखाया।
जिसके बिना मैं फूल न बनता और
मुझमें ज्ञान की खुशबू न होता।
अगर जीवन में गुरू न होता -2।
हर मुश्किल को आसान बनाया, सारथी बनकर साथ निभाया।
शिक्षक जैसा शुभचिंतक कोई और नहीं जमाने में,
जिसने सारी शक्ति लगा दी,मुझे मंजिल तक पहुँचाने में।
कहीं अंधेरों में घिरा रहता उजालों से रूबरू न होता।
अगर जीवन में गुरू न होता-2।।
मैं गर्मी हूँ ,मैं और बढ़ूंगी-मैं और बढ़ंगी-मैं और बढ़ूंगी।
मैं लोगों का जीना यहाँ मुश्किल करूंगी,
मैं गर्मी हूँ मैं और बढूंगी-मैं गर्मी हूँ मैं और बढ़ूंगी।।
समय बीताकर भी मैं अपना, मैं न जाऊँ कल-परसो में।
अब मेरा हीं राज चलेगा, आने वाली कुछ वर्षों में।
सर्दी-बरसात भी मानेगी, देखना तुम मेरा कहना,
इन्हें सिकुड़कर पड़ेगा रहना, मैं ऋतुओं पर राज करूँगी।
मैं गर्मी हूँ मैं और बढ़ूँगी -3।
जब तुम वृक्षों को काटोगे, जंगलों में आग लगाओगे,
ऐ मानव मेरी शक्ति को तुम और बढ़ाओगे।
बरगद-पीपल का छाया वाले तुम भूल रहे हो कुलर देशी,
आनेवाली कुछ वर्षों में न काम करेगा कुलर-एसी।
तुम घरो में कैद हो जाओगे,और मैं बाहर तांडव करूँगी।
मैं गर्मी हूँ मैं और बढ़ूँगी -3।।