Sunday, September 5, 2021

शिक्षक दिवस पर शायरी।

विधार्थियों से मैं  कहता हूँ, 
शिक्षकों का सम्मान करें।
है शिक्षकों से अनुरोध मेरा, 
विधार्थियों का चरित्र निर्माण करें।
शिक्षक दिवस पर शायरी/shayari on teachers day

Friday, May 14, 2021

प्रकृति पर शायरी/prakriti par shayari/shayari on nature in hindi

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 जहां में जीव हैं लाखों,

पर परेशान हैं मानव।

प्रकृति को भी परेशानी

बस इसी जात से थी।।

 

Thursday, February 13, 2020

दर्द भरा ग़ज़ल/Dard bhara ghazal.

दर्द भरी ग़ज़ल(Dard bhari ghazal)

अगर हुई कोई ख़ता मुझसे तो मुझे बतलाओ तुम,
पल भर रिश्ता सदियों का तोड़कर न जाओ तुम।
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वो सपने जो दिखाये थे प्यार में मुझे तूने,
खिले -खिले हैं अभी फूलो सा।
इसे ममोड़ के न जाओ तुम।।
पल भर में.......................2।

तुम्हीं ने प्यार दिया और ग़म भी दिये,
तुम जख़्म दिया और मरहम भी दिये।
सोचता हूँ तुम्हें कोसूँ या दुआ करूँ,
समझ में कुछ नहीं आता मुझे बतलाओ तुम।
पल भर में ........................2।

अगर तू मजबूर है तो तेरी मजबूरियां तो सुनूँ ,
तेरी जुवां कुछ और कह रही है और आँखें कुछ और।
बात क्या हो गई मुझे बतलाओ तुम।
पल भर में................................3।

                              


Sunday, January 12, 2020

जल जीवन हरियाली पर कविता/jal jeevan hariyali par kavita.

जल जीवन हरियाली पर कविता।
जल बिना कल्पना नहीं जीवन कि,वन बिना दुनिया खाली।
जल और वन करते हमारी जीवन की रखवाली,
अब हमें बचाना होगा, जल जीवन हरियाली।
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प्रदूषित हो रही हवा, बंजर हो रही धरा,
त्राहि-त्राहि पंक्षी सब बोले सुख गये सब ताल-तलैया।
ग्लेशियर भी पिघल रहा है, ताप बढ़ रहा धरती का भैया।
जलवायु परिवर्तन कह रहा विनाश है आनेवाली।
अब हमें बचाना होगा जल जीवन हरियाली।।

जंगल काटे,धरती वेधे,मही दोहन भरपुर किया।
पर्यावरण को तुमने प्रदूषण का नासूर दिया।
जिस प्रकृति ने सबकुछ दिया तुमने उस पर आघात किया।
तुम ईश्वर की उत्तम रचना थे,पर दानव-सा उत्पात किया।
ऐ मानव तेरी करनी ने हर जीव को संकट में डाली।
अब हमें बचाना होगा जल जीवन हरियाली।।
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आओ बदलें तस्वीर धरा कि,इसकी सुन्दरता इसे लौटायें।
बनाकर मानव श्रृंखला ये जन-जन तक संदेश फैलायें,
सब मिलकर पर्यावरण बचायें-सब मिलकर पर्यावरण बचायें।
आधुनिकता की सनक खा रही ओजोन परत की जाली।
अब हमें बचाना होगा जल जीवन हरियाली।।


Tuesday, November 12, 2019

Poem on children's day/बालदिवस पर कविता।

बाल दिवस पर कविता।

सुरज मिटाये अंधेरे को,बच्चें गम को मिटाये।
इसलिए बच्चें सदा चाचा नेहरू को भाये।।बाल दिवस पर कविता, बच्ची का फोटो,hindi poem on children's day

प्यारी होती है बचपन की दुनिया,रहता होठों पे मुस्कान सदा,
बच्चों के मन में बसते हैं मानो स्वयं भगवान सदा।
चाचा नेहरू का जन्मदिवस हीं बाल दिवस कहलाये।
इसी लिए बच्चें सदा चाचा नेहरू को भाये।।

देश को दी कई योजनाएं लोहा और इस्पात बनाया,
बांध बनाकर बिजली निकाली,नहरों को खेतों तक पहुँँचाया।
पढ़-लिखकर ऐसा बने हम कि उनके सपनें साकार कर पायें।
इसी बच्चें सदा चाचा नेहरू को भाये।।

समय की ऐसी मार पड़ी है, नफरतों की दीवार खड़ी है,
तुम बच्चों इसे गिराकर रहना।झूठ फरेब की इस दुनिया में
तुम खुद को बचाकर रहना।राह अमन की हम न भुलेगें जो चाचा हमें दिखाये। इसीलिए बच्चें सदा चाचा नेहरू को भाये।।
        

Tuesday, July 16, 2019

Hindi poem on teacher/गुरू पर कविता।

गुरू पर कविता।

जीवन कहीं चट्टानों-सा ठहरा होता,
ये नदियों-सा बहना शुरू न होता,
अगर जीवन में गुरू न होता- 2।।
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आँख रहते हम अंधे होते,
दिन के उजालों में भी देख न पाते।
जनवरों की तरह जंगलो में कहीं भटक रहे होते,
बंदरों की तरह पेड़ों पर कहीं लटक रहे होते।
आदिमानव से मानव न बनता,
जीवन में कुछ करने की आरज़ू न होता।
अगर जीवन में गुरू न होता -2।।
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जिसने मेरे कमियों को दूर कर मुझमें खुबियां भर दिया।
जिसने मुझको ज्ञान देकर मेरे जीवन को सुन्दर किया।
जिसने सत्य-असत्य में भेद बताया,जीवन जीना मुझे सीखाया।
जिसके बिना मैं फूल न बनता और
मुझमें ज्ञान की खुशबू न होता।
अगर जीवन में गुरू न होता -2।
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र मुश्किल को आसान बनाया, सारथी बनकर साथ निभाया।
शिक्षक जैसा शुभचिंतक कोई और नहीं जमाने में,
जिसने सारी शक्ति लगा दी,मुझे मंजिल तक पहुँचाने में।
कहीं अंधेरों में घिरा रहता उजालों से रूबरू न होता।
अगर जीवन में गुरू न होता-2।।

गुरू पर कविता का विडायो।             


Monday, July 15, 2019

Hindi poem on summer / गर्मी पर कविता।

मैं गर्मी हूँ ,मैं और बढ़ूंगी-मैं और बढ़ंगी-मैं और बढ़ूंगी।
मैं लोगों का जीना यहाँ मुश्किल करूंगी,
मैं गर्मी हूँ मैं और बढूंगी-मैं गर्मी हूँ मैं और बढ़ूंगी।।     Hindi poem on summer, summer hindi poem,गर्मी पर कविता।

समय बीताकर भी मैं अपना, मैं न जाऊँ कल-परसो में।
अब मेरा हीं राज चलेगा, आने वाली कुछ वर्षों में।
सर्दी-बरसात भी मानेगी, देखना तुम मेरा कहना,
इन्हें सिकुड़कर पड़ेगा रहना, मैं ऋतुओं पर राज करूँगी।
मैं गर्मी हूँ मैं और बढ़ूँगी -3।  Hindi poem on summer, summer hindi poem ,गर्मी पर कविता। 

जब तुम वृक्षों को काटोगे, जंगलों में आग लगाओगे,
ऐ मानव मेरी शक्ति को तुम और बढ़ाओगे।
बरगद-पीपल का छाया वाले तुम भूल रहे हो कुलर देशी,
आनेवाली कुछ वर्षों में न काम करेगा कुलर-एसी।
तुम घरो में कैद हो जाओगे,और मैं बाहर तांडव करूँगी।
मैं गर्मी हूँ मैं और बढ़ूँगी -3।।


शिक्षक दिवस पर शायरी।

विधार्थियों से मैं  कहता हूँ,  शिक्षकों का सम्मान करें। है शिक्षकों से अनुरोध मेरा,  विधार्थियों का चरित्र निर्माण करें।