Sunday, October 14, 2018

बेवफा

अब तुम तक पहुँचना मुमकिन नहीं है शायद,
मंजिल न बदले तो क्या करें हम ?
                       😄😄😄
मैं भी चाहता हूँ मगर टकरार कैसे छोड़ दूर,
होकर दीवाना राहे मोहब्बत मैं यार कैसे छोड़ दूँ,
वो नफरत छोड़ नहीं सकती तो मैं प्यार कैसे छोड़ दूँ।
                        😄😄😄
भूल गया अपना पता ,तेरी पहचाना बाकी है,
जो मेरी जिन्दगी को अंधेरा कर दे अभी वो शाम बाकी है।
अभी तो जाना मुझे शमशान बाकी है
बेवफा अभी तो सिर्फ दिल टूटा है अभी जान बाकी है-अभी जान बाकी है।
                          😄😄😄
अफसोस मेरी चाहत को तूने क्या समझा,
हम इतने बूरे भी नहीं सनम तूने जितना बूरा समझा।
गलती मेरी है जो पत्थर के टुकड़े को खुदा समझा,
मैं जानता था तुम बेवफा हो,लेकिन कभी नहीं तुझे बेवफा समझा।।
                            😄😄😄
तेरे लिए हर वादा तोड़ जाऊँगा मैं,
कदम डगमगाते देखकर तू हैरान मत होना,तेरे लिए फिर भी दौड़ जाऊँगा मैं।

तबज्जो न दिया उसने मेरी मोहब्बत को ,
प्यार हम जिनसे बेपनाह करते रहे।
                      😄😄😄
कौन कहता है मैं उसके दहलीज तन्हा लौटा हूँ ?
ये दर्द, ये अश्क,ये तन्हाई,उसी ने तो दिया है मुझे।
                       😄😄😄




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शिक्षक दिवस पर शायरी।

विधार्थियों से मैं  कहता हूँ,  शिक्षकों का सम्मान करें। है शिक्षकों से अनुरोध मेरा,  विधार्थियों का चरित्र निर्माण करें।