न समझे तो शत्रु है, समझ गये तो सहेली है,
जीवन भी एक पहेली है-जीवन भी एक पहेली है।
कौन है सच्चा,कौन है झूठा,उसको तू पहचान जरा,
चेहरे के पिछे चेहरा है,उस चेहरे को जान जरा।
किससे है तेरा नाता गहरा, किसका तू बन बैठा मोहरा,
संधर्ष कड़ा है जीवन में,रोमांच भरा है जीवन में।
बस! प्रयत्न कर तू ,मिटे-न मिटे जो लिखी तेरी हथेली है।
जीवन भी एक पहेली.......2।
दृष्टिकोण बदलकर समझो, जीवन के आयाम को,
जीवन के उद्देश्य को समझो,समझो अपने काम को,
तुम सह सकते बज्र को भी,आती है मुशिकलें आने दो,
संधर्ष करो-संधर्ष करो,व्यर्थ न जीवन जाने दो।
ये कभी गरीब की कुटिया है-कभी राजा की हवेली है।
जीवन भी एक पहेली............2।
न समझे तो शत्रु है, समझ गये तो सहेली है,
जीवन भी एक पहेली है-जीवन भी एक पहेली है।
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