Thursday, October 18, 2018

हुये अजनबी,

हम तो शहर में हुये अजनबी-हम तो अपने शहर में हुये अजनबी,
ये शहर छोड़कर जबसे तू चल गई। हम तो शहर ..........2।
भीड़ लाखों के है, सडक़-गलियां वही-2,
पर दिखाई न दे तेरा चेहरा कहीं,
आँसू पी-पी कैसे जीता हूँ मैं,
हल क्या है मेरा आके देखो कभी।
हम तो अपने शहर में हुये अजनबी,
ये शहर ...........,हम तो ........।2

पूछती है पता तेरी-तन्हाईयाँ मेरी-2,
मैं बताऊँ तो क्या, मुझको खुद न पता-2,
रोज फिरता हूँ मैं तेरे घर की गली।
हम तो अपने शहर हुये अजनबी,
ये छोड़कर ........,हम तो........2।

जर्रे-जर्रे में यहाँ बस तेरी याद है-2,
दम तेरी बाहों में निकले ये रब फरियाद है।
बची कुछ साँसें है,पूरी कर दे तमन्ना सनम आखिरी।
हम तो अपने शहर में हुये अजनबी,
ये शहर छोड़कर जब से तू चल गई।
 हम तो अपने शहर में हुये अजनबी -4



                 
                 

1 comment:

शिक्षक दिवस पर शायरी।

विधार्थियों से मैं  कहता हूँ,  शिक्षकों का सम्मान करें। है शिक्षकों से अनुरोध मेरा,  विधार्थियों का चरित्र निर्माण करें।