Sunday, September 30, 2018

मेरी चाहत

(1) मुझे फकीरी में जीने देे,
  अपना फिदरत बदल भी लिया तो क्या मिलेेगा ?
  यहाँ बहुत है ज़मीर बेचनेवाले,हम भी बेचे तो क्या मिलेेेगा?
                             ☺️☺️☺️
(2) हम उन्हें रोज याद करते रहे, उन्हें भूलाने की जिद्द में।
      और वो रोज तड़पती रही, हमें तड़पाने की जिद्द में।।
                            😊😊😊
(3) दिल के किसी कोने में समा गई हो तुम।
      मैं तो अब भी तुम्हें याद करता हूँ ,
      लगता है मुझे भूला गई हो तुम।।
                            😊😊😊
(4) खुश थे मेेरी मैैयित में मुझसे वफा करने वाले ,
      सुना है फूट-फूटकर रोये हैं मुझसे दगा करने वाले।
                            😂😂😂
(5) हम नादान निकले दिल के बाजार में,
       बरना दिल कौन बेचता है आजकल उधार में।
       और तुम्हें तो हर हुनर मालूम था,
       इसलिए तू सबसे आगे खड़ी थी मेरे दिल के खरीदार में।।
शायरी                                        
(6) न आये जीते-जी,न मैयित पेे,और कब कबर ढ़ूंढने आयेे।
       जब मैं उनका शहर छोड़ दिया,तो सुना है वो मेरा घर ढ़ूंढने आये ।।     
                                  😊😊😊
 (7) अपने शहर की हर चौक-चौराहे पर पसरी है तेरी यादें,
       मैं जहाँ से भी गुजरता हूँ मुझे काटने को दौड़ती है।।
                                 😊😊😊
(8)भागदौड़ की जिंदगी में मुझेे इक पहर दे दो,
     अगर दे नहीं सकती प्यार तो ला मुझे जहर दो।
                                 😊😊😊
(9)जमाने में चाहने वाले मुझे भी कम नहीं थे,
  बस!मेरी किस्मत में तू नहीं थी या तेरे मुकद्दर में हम नहीं थे।
                                   😊😊😊
(10)हम उसे क्या समझ रहे थे और वो क्या निकली,
      वो मेरी होके भी मुझे उम्रभर चैन से जीने नहीं देती,
      अच्छा हुआ की वो बेवफा निकली।
शायरी                           
(11)वो मेेेरे करीब से इस उम्मीद में गुजरी की मैैं कुछ कहूँगा उसे,
लेकिन मेरी खामोशी नेे उसका धड़कन बढ़ा दिया। 
      😊😊😊
(12) तेरी मोहब्बत का सबसे ज्यादा हकदार हैं हम,           
रिश्ते की उलझनों का समझ नहीं है मुझे,        
   बस!मुझे इतना पता है मेरा प्यार है तू और तेरा प्यार हैं हम।
        😊😊😊
(13)लाख कतरे कोई पर तेरा,                                   
फिर भी मंंजिल तक हौसला रखना।                
तेेरी मंंजिल तुम्हें मिले न जबतक,                
            जरा लड़कियों से फासला रखना।।                                        
😊😊😊
(14)कैसे कर लूँ तेरा एतवार मैैं,मुझे मोहब्बबत से डर लगता है।
        आसान है किसी को दिल में बसाना लेकिन,भुलाने में इक उमर लगता है।                 
      😊😊😊 
(15) प्यार में मुुुझे गम निशानी दिये,                                 
हँसते आँखों को मेरे पानी दिये।                       
   बचपन में सपने मुझे,किसी और को जवानी दिये।।   
शायरी                                   
(16) मैं डूूूब जाऊँ तुुझमें तूू प्यार से शराबोर कर दे,
अपनी बांहों मेें जीने दे,करम इतना तू और कर दे,         
    मैं अंधेरे को तरसूँ, तू मेरी ज़िन्दगी को इतना अंजोर कर दे।
   😊😊😊 
(17) बदलते जमाने में बदल रहा है ,और मैं तेरे                  
बिगड़ जाने का गम करूँ अच्छा नहीं लगता।     
तेरी याद में आँखें नम करुँ अच्छा नहीं लगता,   
        तू नहीं तो मिली तो क्या? तुझ-सा बहुत मिल जायेंगें, 
तेरी लिए  रोऊँ-मातम करूँ अच्छा नहीं लगता।। 
  😊😊😊
(18) दिल का दर्द और बढ़ जाता है हवा पुरवाई में,           
हमें तुम याद आती हो तन्हाई में,                 
हमदोनो एक हीं रास्ते पर चले मगर,           
हम डूब गये गमों की खाई में और तुम खूब   
 नाम कमाई बेवफाई में ।।                
          😊😊😊    
  (19) आई जवानी तो बचपन बताये साथ भूल गई ,
जुवाँ पे रहने लगा नाम किसी का,मेेेेरी हर बात भूल गई।
वो छोटी-सी उपलब्धि में अपना औकात भूल गई। ।     
                  😊😊😊 
(20) कैसे छोड़ दूँ उसके गलियों सेे गुुजरना मैं,रहते हैं हमदोनो एक हीं शहर में।
अपना घर कैसे न जाऊँ मैं पड़ता है उसी के घर की डगर में।।
                                     
(21)  उन्हें मेरे खिलाफ बहकाया गया है,                         
वो बेेवफा नहीं थी उसे बनाया गया है ।           
      मेरी मोहब्बत किसी की साजिश का शिकार हुई है तो, 
अब मैं भी उनसे प्यार करना जोड़ दूर,             
यही मेरे अपने द्वारा मुझे समझाया गया है।।     

Thursday, September 27, 2018

उसे गुरूर था

उसे गुरूर था अपने हुस्न पर उतरता चला गया,
मुझे जैसे-जैसे वो अपनी आँँखों में डुबाती गई,
वैसे-वैसे मैं उसके आँखों से उभरता चला गया,
वो समझ बैठी कि मेरी मंजिल हैं वो,
लेकिन मैं उससे होकर भी गुजरता चला गया।
मेरी शायरी

Monday, September 24, 2018

Main Beti Hoon

Main Beti Hoon

मैं गर्भ से बचकर आई हूँ जरा साँस हवा में लेने दे,

मैं बेटी हूँ तो क्या हुआ ?मुझे भी हक से जीने दे।
तुम झूठे रस्म-रिवाजों से मेरे हौसले के पर काटो न,
      मुझे आसमांं तक उड़ना है थोड़ा भी कम मुझे आंको न,
तू बेटी-तू बेटी है हर बार ये कहकर डाँटो न,
मैं सरस्वती हूँ, मैं लक्ष्मी हूँ, मैं माँ दुर्गे की शक्ति हूँ,
मैं भी पढ़-लिख सकती हूँ,मुझको भी पढ़ लिख लेने दे।
मैं बेटी हूँ तो .................।2

मैं पिता के सर की पगड़ी हूँ, मैं माँ के आँखों की मोती हूँ,
मैं बिन गलती अपराधी हूँ, दो कुल की लाज को ढ़ोती हूँ,
मैं अरूणिमांं पर्वतारोही हूँ,मैं मैरी,मैं मलाला हूँ,
मैं संधर्ष की माला हूँ,
अब न मेरी प्यास बुझेगी आँसू के घुट पीने से ।
मैं बेटी हूँ तो..................।2

बगावत का ये बिगुल नहीं,बस! माँग है अधिकारो का,
अब वक्त है मेरी वेदना का स्थाई उपचारों का,
गर्भ से लेकर यौवन तक मुझपे लटके तलवारों का,
पाऊँगी मंजिल को मैं अपने खून-पसीने से।
मैं बेटी हूँ तो ........................।2

मैं गर्भ बचकर आई हूँ जरा साँस हवा में लेने दे,
मैं बेटी हूँ तो क्या हुआ ? मुुुझे भी हक से जीने दे।।

Friday, September 21, 2018

दुश्मन है

दर्द पुराना हवा पुरवाई का दुश्मन है,
दिल दीवाना किसी हरजाई का दुश्मन है।
मेरा प्यार किसी की बेवफाई का दुश्मन है,
दिन तो कट जाता है मगर,ये रात तन्हाई का दुश्मन है।।

Thursday, September 20, 2018

मेरी चाहत

न आये जीते-जी,न मैयित पे
और अब कबर ढूंढने आये।
जब मैं उनका शहर छोड़ दिया,
तो सुना है वो मेरा घर ढूंढने आये।।

Saturday, September 15, 2018

बचपन मेरा

माटी का वो खेल-खिलौने,था माटी का घर-आंगन मेरा।
भागदौड़ की जिन्दगी ने,छिन लिया बचपन मेरा।।

कागज की कश्ती छिन लिया,बारिश की मस्ती छिन लिया,
चंद पैसे में खुश होते थे,जमाना वो सस्ती का छिन लिया।
इक रस्सी से सब बंधकर दौड़ते थे,रस्सी का वो रेल छिन लिया,
कभी लट्टू,कभी टायर चलना,गुली-डण्डा का खेल छिन लिया।
जवानी दस्तक देकर छिन लिया लड़कपन मेरा।।
भागदौड़ की जिन्दगी ने ...............।
चोरी-चुपे मेरा घर मुझको,दोस्त बुलाने आते थे,
नजर चुरा के घरवालों से,धूप में भी खेल रचाते थे।
सुन-सुनकर किस्सा दादी का,हम सपनों में खो जाते थे,
चाहे शाम जहाँ भी सोयें,सुबह बिस्तर पर पाते थे।
जीवन में बस छाछ रह गया, छिन लिया माखन मेरा।।
भागदौड़ की जिन्दगी ने......................।

माटी का वो खेल-खिलौने,था माटी का घर आंगन मेरा।
भागदौड़ की जिन्दगी ने, छिन लिया बचपन मेरा।।

Tuesday, September 11, 2018

तेरी राह/TERI RAAH

तेरी राह मेंं पलक बिछाये, बैठे थे इक जमाने से।
अब न ज्यादा फर्क पड़ेगा,तेरे आने-न आने से।।2
आती-जाती वसंत बहारें,कई सावन भी बरस गये,
तेरी इक झलक पाने को नैन हमारे तरस गये।
बचपन का वो गीत सुहाना अब शायद हम गा न सकेगें,
तुम मेरी होना भी चाहो तो शायद अपना न सकेगें।
बदल गई मेरी दुनियाँ कितनी, मत पूछ तेरे जाने से।।
अब न ज्यादा फर्क.......।2

हर चौक-चौराहे पर तेरी यादें पसरी है,
और दिल की गलियों में सन्नाटा।
कैसे मैं समझाऊँ तुमको, 
तुम बिन कैसे पल-पल काटा।
अब मेरा संसार बदल गया,
 यूं समझो किरदार बदल गया।
अब उन वादों को रहने हैं अधूरे,
जो चुक गये मुकम्मल कर पाने से।।
अब न ज्यादा फर्क...........।2
दिल की धड़कन में आज भी तुम हो,
दिल को हम बदल न सकेगें।
पर छोड़ के हाथ जीवनसाथी का
हम संग तुम्हारे चल न सकेगें।
अब मिलो तो आवाज न देना,
हम न आयेगें तेरे बुलाने से।।
अब न ज्यादा फर्क............।2
तेरी राह मेंं पलक बिछाये, बैठे थे इक जमाने से,
अब न ज्यादा फर्क पड़ेगा, तेरे आने न आने से।।2



शिक्षक दिवस पर शायरी।

विधार्थियों से मैं  कहता हूँ,  शिक्षकों का सम्मान करें। है शिक्षकों से अनुरोध मेरा,  विधार्थियों का चरित्र निर्माण करें।