Thursday, September 20, 2018

मेरी चाहत

न आये जीते-जी,न मैयित पे
और अब कबर ढूंढने आये।
जब मैं उनका शहर छोड़ दिया,
तो सुना है वो मेरा घर ढूंढने आये।।

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शिक्षक दिवस पर शायरी।

विधार्थियों से मैं  कहता हूँ,  शिक्षकों का सम्मान करें। है शिक्षकों से अनुरोध मेरा,  विधार्थियों का चरित्र निर्माण करें।