Thursday, September 27, 2018

उसे गुरूर था

उसे गुरूर था अपने हुस्न पर उतरता चला गया,
मुझे जैसे-जैसे वो अपनी आँँखों में डुबाती गई,
वैसे-वैसे मैं उसके आँखों से उभरता चला गया,
वो समझ बैठी कि मेरी मंजिल हैं वो,
लेकिन मैं उससे होकर भी गुजरता चला गया।
मेरी शायरी

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शिक्षक दिवस पर शायरी।

विधार्थियों से मैं  कहता हूँ,  शिक्षकों का सम्मान करें। है शिक्षकों से अनुरोध मेरा,  विधार्थियों का चरित्र निर्माण करें।