Monday, September 24, 2018

Main Beti Hoon

Main Beti Hoon

मैं गर्भ से बचकर आई हूँ जरा साँस हवा में लेने दे,

मैं बेटी हूँ तो क्या हुआ ?मुझे भी हक से जीने दे।
तुम झूठे रस्म-रिवाजों से मेरे हौसले के पर काटो न,
      मुझे आसमांं तक उड़ना है थोड़ा भी कम मुझे आंको न,
तू बेटी-तू बेटी है हर बार ये कहकर डाँटो न,
मैं सरस्वती हूँ, मैं लक्ष्मी हूँ, मैं माँ दुर्गे की शक्ति हूँ,
मैं भी पढ़-लिख सकती हूँ,मुझको भी पढ़ लिख लेने दे।
मैं बेटी हूँ तो .................।2

मैं पिता के सर की पगड़ी हूँ, मैं माँ के आँखों की मोती हूँ,
मैं बिन गलती अपराधी हूँ, दो कुल की लाज को ढ़ोती हूँ,
मैं अरूणिमांं पर्वतारोही हूँ,मैं मैरी,मैं मलाला हूँ,
मैं संधर्ष की माला हूँ,
अब न मेरी प्यास बुझेगी आँसू के घुट पीने से ।
मैं बेटी हूँ तो..................।2

बगावत का ये बिगुल नहीं,बस! माँग है अधिकारो का,
अब वक्त है मेरी वेदना का स्थाई उपचारों का,
गर्भ से लेकर यौवन तक मुझपे लटके तलवारों का,
पाऊँगी मंजिल को मैं अपने खून-पसीने से।
मैं बेटी हूँ तो ........................।2

मैं गर्भ बचकर आई हूँ जरा साँस हवा में लेने दे,
मैं बेटी हूँ तो क्या हुआ ? मुुुझे भी हक से जीने दे।।

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शिक्षक दिवस पर शायरी।

विधार्थियों से मैं  कहता हूँ,  शिक्षकों का सम्मान करें। है शिक्षकों से अनुरोध मेरा,  विधार्थियों का चरित्र निर्माण करें।