Tuesday, September 11, 2018

तेरी राह/TERI RAAH

तेरी राह मेंं पलक बिछाये, बैठे थे इक जमाने से।
अब न ज्यादा फर्क पड़ेगा,तेरे आने-न आने से।।2
आती-जाती वसंत बहारें,कई सावन भी बरस गये,
तेरी इक झलक पाने को नैन हमारे तरस गये।
बचपन का वो गीत सुहाना अब शायद हम गा न सकेगें,
तुम मेरी होना भी चाहो तो शायद अपना न सकेगें।
बदल गई मेरी दुनियाँ कितनी, मत पूछ तेरे जाने से।।
अब न ज्यादा फर्क.......।2

हर चौक-चौराहे पर तेरी यादें पसरी है,
और दिल की गलियों में सन्नाटा।
कैसे मैं समझाऊँ तुमको, 
तुम बिन कैसे पल-पल काटा।
अब मेरा संसार बदल गया,
 यूं समझो किरदार बदल गया।
अब उन वादों को रहने हैं अधूरे,
जो चुक गये मुकम्मल कर पाने से।।
अब न ज्यादा फर्क...........।2
दिल की धड़कन में आज भी तुम हो,
दिल को हम बदल न सकेगें।
पर छोड़ के हाथ जीवनसाथी का
हम संग तुम्हारे चल न सकेगें।
अब मिलो तो आवाज न देना,
हम न आयेगें तेरे बुलाने से।।
अब न ज्यादा फर्क............।2
तेरी राह मेंं पलक बिछाये, बैठे थे इक जमाने से,
अब न ज्यादा फर्क पड़ेगा, तेरे आने न आने से।।2



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शिक्षक दिवस पर शायरी।

विधार्थियों से मैं  कहता हूँ,  शिक्षकों का सम्मान करें। है शिक्षकों से अनुरोध मेरा,  विधार्थियों का चरित्र निर्माण करें।