Monday, December 24, 2018

मेरा उनको नमन/MERA UNKO NAMAN

है नमन-है नमन मेरा उनको नमन-2,
जिनकी रचना है सुरज और धरती गगन।
है नमन ..........-2।
 

                 
 हर मुसिबत से मुझको निकाला है जो,
मुझपे आई बलाओं को टाला है जो।
कुछ कहा भी नहीं जिसने सब सुन लिया,
कुछ भी माँगा नहीं जिसने सबकुछ दिया।
है नमन-है नमन मेरा उनको नमन-2।


जिनकी मर्जी से चलती ये हवा, ये धरा,
जिसने माटी की मुरत में जीवन भरा।
जिसने फूलों को खुशबू और मुस्कान दी,
हर प्राणी को जीने की ज्ञान दी।
है नमन-है नमन मेरा उनको नमन-2।


मेरे सर पे सदा उनकी साया रहे,
वो हर बुराई से मुझको बचाया रहे।
गर.. मैं भूलूँ तो मुझको बता फर्ज दे,
मैं सत्य के पथ पर चलूँ,इतनी सामर्थ दे।
है नमन-है नमन मेरा उनको नमन-2।

जिनकी रचना सुरज और धरती-गगन,
है नमन -है नमन मेरा उनको नमन-2।
                 🙏🙏🙏

Monday, November 12, 2018

गरीबी

मैंने बरगद के नीचे कई बच्चों पलते देखा है,
मैंने पेट को भूख की आग में जलते देखा है-2।


गरीब के नसीब में कहाँ है रूठना और रोना,     
खेलने का उम्र में बेचता है वो खिलौना ,
मैंने बचपन के अरमानो को आँसूओं में निकलते देखा है।
मैंने पेट को भूख की आग में जलते देखा है -2।

सुलगती बीड़ी के धुँयें से भूख को दबाते हुये, 
भूख के मारे घास चबाते हुये, 
इक औरत को देखा कुछ सुखी रोटियाँ लाते हुये ,
और उन सुखी रोटियों की खुशी में,
बच्चों को नाचते-उछलते देखा है ।
मैंने पेट को भूख की आग में जलते देखा है -2।

कहाँ मिला है उसे आशियां अपना, कहाँ सुधरी है हालात, 
कई पीढ़ियाँ बीता दी जिसने फूटपाथो पर। 
मैंने कई सरकारो को बदलते देखा है। 
मैंने पेट को भूख की आग में जलते देखा है -2।

उन्हें क्या मतलब चंद्रयान,मंगलयान और बुलेट ट्रेनों से,
सफर करते हैं जो बांधकर अपने चादर ट्रेनों में। 
खाते हुए खाना रेल के शौचालयों में 
और रोटियों के लिए रस्सियों पर चलते देखा है। 
मैंने पेट को भूख की आग में जलते देखा है -3।






Friday, October 26, 2018

तुम्हारी याद आती है।

आजा-आजा बेवफा तुम्हारी याद आती है-2,
रहुँ कैसे मैं तेरे बिन,जुदाई काट खाती है।
आजा-आजा बेवफा............2।
सम्हले रखा हूँ तेरे,सभी सभी खत मैं लिफाफों में,
पड़ा है आज भी तेरा वो सूखे फूल किताबों में,
तेरी तेरी तस्वीर पे नजरें हों तो दिल चीख जाती है।
आजा-आजा बेवफा............2।
मुझे इस हाल में तुमको अगर छोड़ जाना था,
दिखाकर प्यार के सपने अगर दिल तोड़ जाना था,
तुम्हें न प्यार करना था,तुम्हें न दिल लगाना था।
अब लौट भी आओ बेवफा,तू मेरे बचपन की साथी है।
आजा-आजा बेवफा............।रहुँ कैसे मैं तेरे ........।
आजा-आजा बेवफा तुम्हारी याद आती है-2।
                    

Thursday, October 18, 2018

हुये अजनबी,

हम तो शहर में हुये अजनबी-हम तो अपने शहर में हुये अजनबी,
ये शहर छोड़कर जबसे तू चल गई। हम तो शहर ..........2।
भीड़ लाखों के है, सडक़-गलियां वही-2,
पर दिखाई न दे तेरा चेहरा कहीं,
आँसू पी-पी कैसे जीता हूँ मैं,
हल क्या है मेरा आके देखो कभी।
हम तो अपने शहर में हुये अजनबी,
ये शहर ...........,हम तो ........।2

पूछती है पता तेरी-तन्हाईयाँ मेरी-2,
मैं बताऊँ तो क्या, मुझको खुद न पता-2,
रोज फिरता हूँ मैं तेरे घर की गली।
हम तो अपने शहर हुये अजनबी,
ये छोड़कर ........,हम तो........2।

जर्रे-जर्रे में यहाँ बस तेरी याद है-2,
दम तेरी बाहों में निकले ये रब फरियाद है।
बची कुछ साँसें है,पूरी कर दे तमन्ना सनम आखिरी।
हम तो अपने शहर में हुये अजनबी,
ये शहर छोड़कर जब से तू चल गई।
 हम तो अपने शहर में हुये अजनबी -4



                 
                 

Sunday, October 14, 2018

बेवफा

अब तुम तक पहुँचना मुमकिन नहीं है शायद,
मंजिल न बदले तो क्या करें हम ?
                       😄😄😄
मैं भी चाहता हूँ मगर टकरार कैसे छोड़ दूर,
होकर दीवाना राहे मोहब्बत मैं यार कैसे छोड़ दूँ,
वो नफरत छोड़ नहीं सकती तो मैं प्यार कैसे छोड़ दूँ।
                        😄😄😄
भूल गया अपना पता ,तेरी पहचाना बाकी है,
जो मेरी जिन्दगी को अंधेरा कर दे अभी वो शाम बाकी है।
अभी तो जाना मुझे शमशान बाकी है
बेवफा अभी तो सिर्फ दिल टूटा है अभी जान बाकी है-अभी जान बाकी है।
                          😄😄😄
अफसोस मेरी चाहत को तूने क्या समझा,
हम इतने बूरे भी नहीं सनम तूने जितना बूरा समझा।
गलती मेरी है जो पत्थर के टुकड़े को खुदा समझा,
मैं जानता था तुम बेवफा हो,लेकिन कभी नहीं तुझे बेवफा समझा।।
                            😄😄😄
तेरे लिए हर वादा तोड़ जाऊँगा मैं,
कदम डगमगाते देखकर तू हैरान मत होना,तेरे लिए फिर भी दौड़ जाऊँगा मैं।

तबज्जो न दिया उसने मेरी मोहब्बत को ,
प्यार हम जिनसे बेपनाह करते रहे।
                      😄😄😄
कौन कहता है मैं उसके दहलीज तन्हा लौटा हूँ ?
ये दर्द, ये अश्क,ये तन्हाई,उसी ने तो दिया है मुझे।
                       😄😄😄




Sunday, October 7, 2018

जीवन भी एक पहेली है।

            
 न समझे तो शत्रु है, समझ गये तो सहेली है, 
        जीवन भी एक पहेली है-जीवन भी एक पहेली है।
कौन है सच्चा,कौन है झूठा,उसको तू पहचान जरा,
चेहरे के पिछे चेहरा है,उस चेहरे को जान जरा।     
किससे है तेरा नाता गहरा, किसका तू बन बैठा मोहरा,
संधर्ष कड़ा है जीवन में,रोमांच भरा है जीवन में।
बस! प्रयत्न कर तू ,मिटे-न मिटे जो लिखी तेरी हथेली है।
जीवन भी एक पहेली.......2।
 दृष्टिकोण बदलकर समझो, जीवन के आयाम को,
जीवन के उद्देश्य को समझो,समझो अपने काम को,
तुम सह सकते बज्र को भी,आती है मुशिकलें आने दो,
संधर्ष करो-संधर्ष करो,व्यर्थ न जीवन जाने दो।
ये कभी गरीब की कुटिया है-कभी राजा की हवेली है।
जीवन भी एक पहेली............2।

न समझे तो शत्रु है, समझ गये तो सहेली है,
जीवन भी एक पहेली है-जीवन भी एक पहेली है।

Wednesday, October 3, 2018

वो स्कूल-काॅलेज की लड़की

गलती सेे मिल गये तो अपनी राहों में मुझे खड़ी समझती है।
अपने आप को जादूू की छड़ी समझती है।
अरे क्यों न दिखाऊँ आईना,आजकल बंदरी भी अपने-आप को परी समझती है।।
                               🤗🤗🤗
नशा प्यार से ज्यादा कहाँ वाइन🍷में होता है।
केवल एक झलक पाने के लिए रोज किसी का राह ताकना,
ऐसा केवल स्कूल-कॉलेज के टाईम में होता है।।
                              😄😄😄
उसके भाईयों ने मुझे कूटा,
कि उसके गलियों में मेरा दम निकला।
हम जिसे अपना आइटम कहते थे,
साला वो आइटम बम निकला।।
                          😀😀😀
मैं वो चिपकू आशिक हूँ,
जो हर वक्त तेरी दामन से चिपका रहेगा।
कभी तो खत्म तेरी बेवफाई का सिलसिला होगा,
इक दिन तो तेरी नफरत पे मेरे प्यार का फताह होगा।
और मजा आयेगी टक्कर में जब ये तुम्हें पहले से पता होगा।।
                             😀😀😀
तुम जो मिल जाओ तो कोई ख़्वाहिश बाकी न हो,
वो कौन-सी घड़ी है सनम जो याद तेरी आती न हो।
और तू उस रास्ते से मेरी ज़िन्दगी में आना,
जो फिर लौट के जाती न हो।।
     मेरी शायरी          
जुगनू के चमक से उजाले कहाँ होते सनम।
चाहने वाले तो बहुत मिलते, पर दिलवाले कहाँ होते सनम।। 
😀😀😀
तुम वो गुलाब हो, जिसे दिन-रात देखने को जी चाहता है।
तुम वो शराब हो, जिसे शाम-ओ-सहर पीने को जी चाहता है। 
मरने की तमन्ना है तेरी बांहों में, और तेरी बांहों में जीने को जी चाहता  है।। 
😀😀😀
तुमसे तन्हाई में मिलते,कभी ऐसा इक्तिफाक होता, 
तेरी गोद में सर तेरी हाथो में हाथ होता। 
चोरी-चुपके रोज हम दोनों का मुलाकात होता, 
एक-दूसरे के बांहों होते, जब रिमझिम बरसात होता। 
एक-दूजे में खो जाते क्या बात होता ,
हमदोनो जुदाई के लिए तरसते ऐसा अपना साथ होता ।।
  😀😀😀  
बनाने लगे हैं रेत का महल,विखरने का डर है। 
आने लगे हैं करीब हम दोनों,बछड़ने का डर है। 
प्यार में हद से गुजरने का डर है ।
अब जुदा हुए तो जी न सकूँगा शायद, 
बढ़ी बेकरारी तो मरने का डर है।। 
                     😀😀😀  
जज्म है तुझे पाने का अफसोस ये मगर है। 
मुझे आज भी  तेरी मुकर जाने का डर है। ।
मत पढ ज्यादा आँखों का किताब बूरा होता है। 
प्यार करना दिल-ए-बेताब बूरा होता है। 
प्यार के सपने सुहाने जरूर होते हैं लेकिन, 
सुनते आये हैं ये ख्बाव बूरा होता है।। 
   😀😀😀
तुमसे हीं मेरी हर खुशी क्यों है? 
मैं कोई नहीं तेरा, तो तू मेरी ज़िन्दगी क्यों है ?
मैं नहीं जानता तुमसे बेपनाह प्यार की वजह, 
तुहीं बता दे तुम्हें मुझसे दुश्मनी क्यों है? 
  😀😀😀
तुझे  पाने के लिए मैंने क्या-क्या नहीं किया। 
तू भी गजब बेवफा है, जो कभी वफा नहीं किया। ।
   😀😀😀
मेरे जलते दिल की चिंगारी से किसी का घर न जले। 
इसलिए ऐ खुदा जब शादी हो उसका तो मुझे पता न चले।। 
😀😀
जी रहा हूँ मर-मर के मैं परिन्दा हूँ। 
साँसे नहीं टूटी अबतक बस जिन्दा  है।। 
हम वो दीवाने नहीं, जो किसी के आँखों से डर जायें, 
हम कोई रेत का महल नहीं,जो हवा के झोकों से बिखर जायें। 
हम तो वो चट्टान हैं,जो तूफानो में भी ठहर जायें-ठहर जायें।।
   😀😀😀
मिल के जमीं-आसमाँ कभी बातें चार जरूर किया होगा। 
अब बिछड़कर रोता है आसमाँ तो हँसती है धरती ,
जमीं बेवफाई और आसमाँ प्यार जरूर किया होगा।।
   😀😀😀
नाम मेरा जिसके लवो पे होता था,वो बदली-2 सी दिखता है।
मैं आज भी आहट से पहचान जाता हूँ, और वो मेरा नाम पुँछती है।। 
  😀😀😀
तमाम वादे तोड़कर इक वादा निभाऊँ, 
आसमाँ से तोड़कर तारे,तेरी माँग सजाए। 
हसरत न पूँछ दिल का गुज़ारिश है तुमसे, 
तू मुझमें खो जाये मैं तुझमें खो जाऊँ।। 
   😀😀😀
मैं किसी पे अपना जाँ निसार क्यों करूँ,बेवफा है वो एतवार क्यों करूँ।
मैं जानता हूँ वो नहीं आयेगी, फिर उनका इंतेजार क्यों करू।। 
उनकी लवो को गुलाब की पंखुड़ी कहा तो क्या कहा ।
उनकी आँखों को मयखाना,कमसीन बदन को अंगूरी कहा तो क्या कहा।
 वो मेरा दिल,मेरी जान,मेरी ज़िन्दगी है,उसे परी कहा तो क्या कहा।। 
😀😀😀


          
     
                         
   

Sunday, September 30, 2018

मेरी चाहत

(1) मुझे फकीरी में जीने देे,
  अपना फिदरत बदल भी लिया तो क्या मिलेेगा ?
  यहाँ बहुत है ज़मीर बेचनेवाले,हम भी बेचे तो क्या मिलेेेगा?
                             ☺️☺️☺️
(2) हम उन्हें रोज याद करते रहे, उन्हें भूलाने की जिद्द में।
      और वो रोज तड़पती रही, हमें तड़पाने की जिद्द में।।
                            😊😊😊
(3) दिल के किसी कोने में समा गई हो तुम।
      मैं तो अब भी तुम्हें याद करता हूँ ,
      लगता है मुझे भूला गई हो तुम।।
                            😊😊😊
(4) खुश थे मेेरी मैैयित में मुझसे वफा करने वाले ,
      सुना है फूट-फूटकर रोये हैं मुझसे दगा करने वाले।
                            😂😂😂
(5) हम नादान निकले दिल के बाजार में,
       बरना दिल कौन बेचता है आजकल उधार में।
       और तुम्हें तो हर हुनर मालूम था,
       इसलिए तू सबसे आगे खड़ी थी मेरे दिल के खरीदार में।।
शायरी                                        
(6) न आये जीते-जी,न मैयित पेे,और कब कबर ढ़ूंढने आयेे।
       जब मैं उनका शहर छोड़ दिया,तो सुना है वो मेरा घर ढ़ूंढने आये ।।     
                                  😊😊😊
 (7) अपने शहर की हर चौक-चौराहे पर पसरी है तेरी यादें,
       मैं जहाँ से भी गुजरता हूँ मुझे काटने को दौड़ती है।।
                                 😊😊😊
(8)भागदौड़ की जिंदगी में मुझेे इक पहर दे दो,
     अगर दे नहीं सकती प्यार तो ला मुझे जहर दो।
                                 😊😊😊
(9)जमाने में चाहने वाले मुझे भी कम नहीं थे,
  बस!मेरी किस्मत में तू नहीं थी या तेरे मुकद्दर में हम नहीं थे।
                                   😊😊😊
(10)हम उसे क्या समझ रहे थे और वो क्या निकली,
      वो मेरी होके भी मुझे उम्रभर चैन से जीने नहीं देती,
      अच्छा हुआ की वो बेवफा निकली।
शायरी                           
(11)वो मेेेरे करीब से इस उम्मीद में गुजरी की मैैं कुछ कहूँगा उसे,
लेकिन मेरी खामोशी नेे उसका धड़कन बढ़ा दिया। 
      😊😊😊
(12) तेरी मोहब्बत का सबसे ज्यादा हकदार हैं हम,           
रिश्ते की उलझनों का समझ नहीं है मुझे,        
   बस!मुझे इतना पता है मेरा प्यार है तू और तेरा प्यार हैं हम।
        😊😊😊
(13)लाख कतरे कोई पर तेरा,                                   
फिर भी मंंजिल तक हौसला रखना।                
तेेरी मंंजिल तुम्हें मिले न जबतक,                
            जरा लड़कियों से फासला रखना।।                                        
😊😊😊
(14)कैसे कर लूँ तेरा एतवार मैैं,मुझे मोहब्बबत से डर लगता है।
        आसान है किसी को दिल में बसाना लेकिन,भुलाने में इक उमर लगता है।                 
      😊😊😊 
(15) प्यार में मुुुझे गम निशानी दिये,                                 
हँसते आँखों को मेरे पानी दिये।                       
   बचपन में सपने मुझे,किसी और को जवानी दिये।।   
शायरी                                   
(16) मैं डूूूब जाऊँ तुुझमें तूू प्यार से शराबोर कर दे,
अपनी बांहों मेें जीने दे,करम इतना तू और कर दे,         
    मैं अंधेरे को तरसूँ, तू मेरी ज़िन्दगी को इतना अंजोर कर दे।
   😊😊😊 
(17) बदलते जमाने में बदल रहा है ,और मैं तेरे                  
बिगड़ जाने का गम करूँ अच्छा नहीं लगता।     
तेरी याद में आँखें नम करुँ अच्छा नहीं लगता,   
        तू नहीं तो मिली तो क्या? तुझ-सा बहुत मिल जायेंगें, 
तेरी लिए  रोऊँ-मातम करूँ अच्छा नहीं लगता।। 
  😊😊😊
(18) दिल का दर्द और बढ़ जाता है हवा पुरवाई में,           
हमें तुम याद आती हो तन्हाई में,                 
हमदोनो एक हीं रास्ते पर चले मगर,           
हम डूब गये गमों की खाई में और तुम खूब   
 नाम कमाई बेवफाई में ।।                
          😊😊😊    
  (19) आई जवानी तो बचपन बताये साथ भूल गई ,
जुवाँ पे रहने लगा नाम किसी का,मेेेेरी हर बात भूल गई।
वो छोटी-सी उपलब्धि में अपना औकात भूल गई। ।     
                  😊😊😊 
(20) कैसे छोड़ दूँ उसके गलियों सेे गुुजरना मैं,रहते हैं हमदोनो एक हीं शहर में।
अपना घर कैसे न जाऊँ मैं पड़ता है उसी के घर की डगर में।।
                                     
(21)  उन्हें मेरे खिलाफ बहकाया गया है,                         
वो बेेवफा नहीं थी उसे बनाया गया है ।           
      मेरी मोहब्बत किसी की साजिश का शिकार हुई है तो, 
अब मैं भी उनसे प्यार करना जोड़ दूर,             
यही मेरे अपने द्वारा मुझे समझाया गया है।।     

Thursday, September 27, 2018

उसे गुरूर था

उसे गुरूर था अपने हुस्न पर उतरता चला गया,
मुझे जैसे-जैसे वो अपनी आँँखों में डुबाती गई,
वैसे-वैसे मैं उसके आँखों से उभरता चला गया,
वो समझ बैठी कि मेरी मंजिल हैं वो,
लेकिन मैं उससे होकर भी गुजरता चला गया।
मेरी शायरी

Monday, September 24, 2018

Main Beti Hoon

Main Beti Hoon

मैं गर्भ से बचकर आई हूँ जरा साँस हवा में लेने दे,

मैं बेटी हूँ तो क्या हुआ ?मुझे भी हक से जीने दे।
तुम झूठे रस्म-रिवाजों से मेरे हौसले के पर काटो न,
      मुझे आसमांं तक उड़ना है थोड़ा भी कम मुझे आंको न,
तू बेटी-तू बेटी है हर बार ये कहकर डाँटो न,
मैं सरस्वती हूँ, मैं लक्ष्मी हूँ, मैं माँ दुर्गे की शक्ति हूँ,
मैं भी पढ़-लिख सकती हूँ,मुझको भी पढ़ लिख लेने दे।
मैं बेटी हूँ तो .................।2

मैं पिता के सर की पगड़ी हूँ, मैं माँ के आँखों की मोती हूँ,
मैं बिन गलती अपराधी हूँ, दो कुल की लाज को ढ़ोती हूँ,
मैं अरूणिमांं पर्वतारोही हूँ,मैं मैरी,मैं मलाला हूँ,
मैं संधर्ष की माला हूँ,
अब न मेरी प्यास बुझेगी आँसू के घुट पीने से ।
मैं बेटी हूँ तो..................।2

बगावत का ये बिगुल नहीं,बस! माँग है अधिकारो का,
अब वक्त है मेरी वेदना का स्थाई उपचारों का,
गर्भ से लेकर यौवन तक मुझपे लटके तलवारों का,
पाऊँगी मंजिल को मैं अपने खून-पसीने से।
मैं बेटी हूँ तो ........................।2

मैं गर्भ बचकर आई हूँ जरा साँस हवा में लेने दे,
मैं बेटी हूँ तो क्या हुआ ? मुुुझे भी हक से जीने दे।।

Friday, September 21, 2018

दुश्मन है

दर्द पुराना हवा पुरवाई का दुश्मन है,
दिल दीवाना किसी हरजाई का दुश्मन है।
मेरा प्यार किसी की बेवफाई का दुश्मन है,
दिन तो कट जाता है मगर,ये रात तन्हाई का दुश्मन है।।

Thursday, September 20, 2018

मेरी चाहत

न आये जीते-जी,न मैयित पे
और अब कबर ढूंढने आये।
जब मैं उनका शहर छोड़ दिया,
तो सुना है वो मेरा घर ढूंढने आये।।

Saturday, September 15, 2018

बचपन मेरा

माटी का वो खेल-खिलौने,था माटी का घर-आंगन मेरा।
भागदौड़ की जिन्दगी ने,छिन लिया बचपन मेरा।।

कागज की कश्ती छिन लिया,बारिश की मस्ती छिन लिया,
चंद पैसे में खुश होते थे,जमाना वो सस्ती का छिन लिया।
इक रस्सी से सब बंधकर दौड़ते थे,रस्सी का वो रेल छिन लिया,
कभी लट्टू,कभी टायर चलना,गुली-डण्डा का खेल छिन लिया।
जवानी दस्तक देकर छिन लिया लड़कपन मेरा।।
भागदौड़ की जिन्दगी ने ...............।
चोरी-चुपे मेरा घर मुझको,दोस्त बुलाने आते थे,
नजर चुरा के घरवालों से,धूप में भी खेल रचाते थे।
सुन-सुनकर किस्सा दादी का,हम सपनों में खो जाते थे,
चाहे शाम जहाँ भी सोयें,सुबह बिस्तर पर पाते थे।
जीवन में बस छाछ रह गया, छिन लिया माखन मेरा।।
भागदौड़ की जिन्दगी ने......................।

माटी का वो खेल-खिलौने,था माटी का घर आंगन मेरा।
भागदौड़ की जिन्दगी ने, छिन लिया बचपन मेरा।।

Tuesday, September 11, 2018

तेरी राह/TERI RAAH

तेरी राह मेंं पलक बिछाये, बैठे थे इक जमाने से।
अब न ज्यादा फर्क पड़ेगा,तेरे आने-न आने से।।2
आती-जाती वसंत बहारें,कई सावन भी बरस गये,
तेरी इक झलक पाने को नैन हमारे तरस गये।
बचपन का वो गीत सुहाना अब शायद हम गा न सकेगें,
तुम मेरी होना भी चाहो तो शायद अपना न सकेगें।
बदल गई मेरी दुनियाँ कितनी, मत पूछ तेरे जाने से।।
अब न ज्यादा फर्क.......।2

हर चौक-चौराहे पर तेरी यादें पसरी है,
और दिल की गलियों में सन्नाटा।
कैसे मैं समझाऊँ तुमको, 
तुम बिन कैसे पल-पल काटा।
अब मेरा संसार बदल गया,
 यूं समझो किरदार बदल गया।
अब उन वादों को रहने हैं अधूरे,
जो चुक गये मुकम्मल कर पाने से।।
अब न ज्यादा फर्क...........।2
दिल की धड़कन में आज भी तुम हो,
दिल को हम बदल न सकेगें।
पर छोड़ के हाथ जीवनसाथी का
हम संग तुम्हारे चल न सकेगें।
अब मिलो तो आवाज न देना,
हम न आयेगें तेरे बुलाने से।।
अब न ज्यादा फर्क............।2
तेरी राह मेंं पलक बिछाये, बैठे थे इक जमाने से,
अब न ज्यादा फर्क पड़ेगा, तेरे आने न आने से।।2



शिक्षक दिवस पर शायरी।

विधार्थियों से मैं  कहता हूँ,  शिक्षकों का सम्मान करें। है शिक्षकों से अनुरोध मेरा,  विधार्थियों का चरित्र निर्माण करें।